इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Thursday, April 12, 2012

प्यार और मूर्खता.....एक सिक्के के दो पहलु!!!

डायरी में सिर्फ इश्क मोहब्बत नहीं होता........बनिए का हिसाब भी होता है :-)
और मेरी डायरी का हर पन्ना भी प्यार की वकालत नहीं करता..................
जैसे पढ़िए ये पन्ना ........................शायद आप रज़ामंद हों इस फलसफे से..............या ना भी हों !!!!! 


मेरा तो ये मानना है कि मोहब्बत करने के लिए मूर्ख होना ज़रूरी है..................
चलिए साबित करने की कोशिश करती हूँ.
मुझे लगता है जिसके पास ज़रा भी अक्ल होगी वो कभी इश्क-मोहब्ब्त के फेर में नहीं पड़ेगा.................बेशक वो प्रेम कर सकता है-ईश्वर से प्रेम,फूल पौधों से प्रेम,मूक जानवरों से,सृष्टि से,चाँद तारों से ..किसी से भी........मगर मैं बात कर रही हूँ रूहानी प्रेम की जो एक लड़की/स्त्री करती है एक लड़के/पुरुष से...........
प्यार भरा दिल एक "मोमबत्ती" की तरह होता है.........सोचिये किसी हंसीन,रूमानी शाम को पाँच सितारा होटल में कैसे रांझे का "दिल" जलता है और हीर  लुत्फ़ उठाती है कैंडल लाइट डिनर का.................
परवाने को देखिये.............जल कर ही मानता है............कोई अक्ल की बात है ये???? दिल का दर्द से पुराना रिश्ता है सब जानते हैं.....
प्यार में पागल दिल एक गुब्बारे सा होता है...........................साथी भरता जाता है प्यार की हवा........और फिर फट जाता है गुब्बारा........
अति सर्वत्र वर्जयेत !!!! मगर आशिकों को कहाँ समझ इसकी.......
प्रेमी विद्रोही होते हैं.......प्रेम करके लोग घर समाज सबसे दूरी बना लेते हैं.........और तो और कई तो दुनिया से भी कूच कर जाते हैं.....
सर टिकाने को एक कांधा क्या मिला ,आखरी वक्त में चार कंधों की ज़रूरत होगी ये भी भूल जाते हैं....
दिमाग जब चलता नहीं तब दिल की चलती है, ये बात तय है...............याने इश्क की पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण शर्त है मूर्खता....
और सबसे गंभीर स्थिति तो तब पैदा होती है जब अचानक ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं..........अब न निगला जाये न उगला जाये वाली हालत का क्या करें!!!!
यूँही नहीं बड़े बुज़ुर्ग इसे "आग का दरिया " कह गए हैं............................
आग के दरिया में कोई अक्लमंद कूदेगा भला?????
गुल-बकावली के फूल लाना,चाँद के पार जाना,तारे तोड़ लाना,पलकों पर बैठाना.......प्रेमियों की इन बातों से ज़रा भी अक्ल की बू आती है क्या????
"दिल कहता है आओ....आकर रहो मेरे भीतर..........समां जाओ     मुझमें................बस दिमाग से न कहना.........उससे पुरानी दुश्मनी है मेरी !!!!! वो तुम्हें आने ना देगा........"


-अनु 


(मैं मूर्ख हूँ या नहीं, वो किस्सा कभी और....   :-)

44 comments:

  1. :))अपनी बातों को साबित करने में पूरी तरह कामयाब हुई आपः))

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  2. इस मामले में हरियाणवी थोड़े समझदार होते हैं :)
    एक हरियाणवी की पत्नी ने कहा --जी देखो पड़ोस वाले शर्मा जी अपनी पत्नी का कितना ख्याल रखते हैं . और एक आप है , मेरे लिए पेड़ से आम तोड़ कर भी नहीं ला सकते . पति बोला --भागवान , मैं तो तेरे लिए चाँद सितारे भी तोड़ कर ले आऊँ, पर न्यू बता तू उनका करेगी के ?
    सही कहा जी , अक्ल वाले कभी इश्क मोहब्बत नहीं करते .

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    1. आपने जो कहा है वो ठीख है पर मेरी तो राय है की, इश्क शायद किया नहीं जाता ये तो एक सुयम हो जाने वाली रूमानी ताकत की तरह है, और जिसे ये एक बार अपने कब्जे में ले ले, फिर वो चाहे अक्लमंद हो या मुर्ख उसका खुद पर बस नहीं चलता,
      एक अकल्मन्द इन्सान खुद मुर्ख बनता चला जाता है ,

      पर आपने विचार अच्छे दिए है , ये हास्य व्यंग के लिए सबसे अच्छे विचार है

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  3. कहते हैं कि किसी मूर्ख की सब से बड़ी समझदारी यही होती है कि वह किसी से प्रेम करने लगता है...और किसी समझदार की मूर्खता इसमें होती है कि वह प्रेम के चक्कर में पड़ जाता है. बढ़िया पोस्ट.

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  4. प्यार दिल से होता है दिमाग से नहीं ... अब मूर्ख कहें या दिलवाला

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  5. सुन्दर रोचक प्रस्तुति
    कलमदान

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  6. अति सर्वत्र वर्जयेत ...sach kaha

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  7. हा!हा!हा ! चलो आज हल्का-फुल्का मजाक ही सही पर है सच !
    अनु जी ,आप का कहना है ..मोहब्बत करने के लिए मूर्ख होना ज़रूरी है...
    मेरा मानना है , मोहब्बत करो ...मूर्ख अपने आप बन जाओगे ...?
    खुश रहो !

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  8. अनु जी,
    आपकी इस पोस्ट को पढ़ कर दिल खुश हो गया...अब क्यों हुआ ये बताना जरूरी तो नही...:))

    बढिया पोस्ट लिखी है बधाई।

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  9. भूषण सर ने जो कहा उसके बाद कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं रह जाती :)

    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर!

    सादर

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  10. प्रेमी विद्रोही होते हैं.......प्रेम करके लोग घर समाज सबसे दूरी बना लेते हैं

    प्रेम पर अच्छी चुटकी :)

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  11. दिल कहां सुनता है ये सब बातें ... उसे कुछ भी कह लो आप :)

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  12. मूर्ख होना ही बढ़िया है...:)
    प्रेम की अगर यही शर्त है तो यही सही...!

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  13. लेकिन कई बार दिमाग वाले भी यही मूर्खता कर बैठते हैं...!
    :))

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  14. haha..kitnaa bhi koshish kar lo, koi gyaan vigyaan ISHQ ka mantar decode nahin kar payega..kyunki har kisi ka mantar doosre se alag hota hai..

    Apki Decrypting pasand aayi :)

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  15. ....जो मूरख नहीं बनते हैं,वे दुनिया की सबसे बड़ी नेमत से महरूम रहते हैं !

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  16. उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    बहुत बहुत बधाई ||

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  17. बड़ा कठिन सवाल दे दिया ....अपने आप को मूरख कैसे कहें ....?

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    1. मत कहिये.................
      हम समझदार हैं :-)

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  18. मैं तो बस इतना ही कहूँगा कि मैंने अपनी ज़िंदगी में अच्छी खासी समझ रखने वालों को रातों रात होश खोते देखा है। इश्क़ का काटा इंसान तर्क से परे हो जाता है। हाँ ये जरूर है कि ऐसे लोग समाज से कम ही विद्रोह करते हैं उनकी अपेक्षा जो आपके तथाकथित मूर्ख की परिभाषा के भीतर आते हैं।

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  19. दिल दिमाग की कब मानता है...

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  20. देखो जी जब इसक आग का दरिया होता था तब तो प्रेमी मुरख होते थे , आजकल तो ऐसे बहुत से किस्से आते है प्यार के जिसमे दिमाग का भी प्रयोग सुना है . अब ये मत कहना आप की वो प्यार नहीं है. दिल-दिमाग का काकटेल . यानि की प्यार और प्यार का खेल .

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  21. बिस्मिल हरीमे इश्क मे हस्ती ही जुर्म है। रखना कभी न पांव यहां सर लिए हुए। तो इश्क में मैं होता ही कहां है और कौन ऐसा बुद्धिमान होगा जो मैं छोड़ तुम पर जाएगा। सो इश्क तो वही कर सकता है जो दिल का माहिर हो, दिमाग का नहीं।

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  22. आपके लिखे अनुसार हम मूरख हैं ...:))

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  23. प्यार समर्पण है .

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  24. मूर्ख बनकर ही इस जीवन को जिया जा सकता है। बुद्धिमान जीवन जीते नहीं हैं बिताते हैं।

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  25. कुछ पाने के लिए कुछ तो बनना ही पड़ता है चाहे मूर्ख ही सही....कुछ तो बने..

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  26. बहुत बढिया लिखा है आपने बहुत अच्छा लगा |

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  27. प्रेम करने के लिये सच में पागलपन की जरुरत है
    होशियार लोग प्रेम नहीं कर सकते ! प्रेम सबसे सुंदर अहसास है
    इसमें पागल हुआ जा सकता है !
    बहुत सुंदर सार्थक पोस्ट है !

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  28. जब मैं था तब हरि नहीं
    अब हरि हैं मैं नाहिं ...

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  29. मोहब्बत करने के लिए मूर्ख होना ज़रूरी है..................


    Agreed....
    Love is blind.it's slow poison.it has no limits...flies to infinity.it's a fairy tale...it fascinates world of dreams... and dreams are dreams... make us always fool.... :)

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  30. वाह वाह वाह !
    रोचक है …

    आदरणीया अनु जी
    सस्नेहाभिवादन !



    यह क्या सूझी एक सिक्के के दो पहलु दिखलाने की ?
    बढ़िया लिखा , लेकिन आपने तो सारे रास्ते बंद कर दिए हैं…
    हम जैसे कवि-शायरों का क्या होगा ?!
    :))

    बहुत श्रम और अनुभव :) से लिखे इस व्यंग्य के लिए बधाई और साधुवाद !


    …लेकिन जो किस्सा कभी और बताने का वादा किया है वह याद रखिएगा … … …

    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  31. शुक्रिया सर
    आपकी उपस्थिति से अभिभूत हूँ....

    कविगण अनदेखा कर सकते हैं इस पोस्ट को..............मैंने खुद दोबारा नहीं पढ़ा......
    :-)
    सादर.

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  32. rational...
    वो क्या इश्क करेंगे जिन्हें दुनियादारी के नफे नुक्सान ने बनिया बना दिया

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  33. मगर आपकी सभी बातें तभी पता चलती हैं और समझ में आतीं हैं जब दिल टूट जाता है....गुब्बारा फूट जाता है...और किनारा छूट जाता है. आभार

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  34. I liked the rosy page...nicely done up! And your writing is so different..and unique.
    pyaar koi sauda nahi hai...duniyadaari nibhane ke liye bhi nahi---pyaar toh bas pyaar hi hai! Well said...

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  35. I so completely agree:)
    Very well written Anu:)

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  36. आपने जो कहा है वो ठीख है पर मेरी तो राय है की, इश्क शायद किया नहीं जाता ये तो एक सुयम हो जाने वाली रूमानी ताकत की तरह है, और जिसे ये एक बार अपने कब्जे में ले ले, फिर वो चाहे अक्लमंद हो या मुर्ख उसका खुद पर बस नहीं चलता,
    एक अकल्मन्द इन्सान खुद मुर्ख बनता चला जाता है ,

    पर आपने विचार अच्छे दिए है , ये हास्य व्यंग के लिए सबसे अच्छे विचार है

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  37. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

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  38. अच्छे- अच्छे समझदार भी इश्क के फेर में पड़ कर अपना बेड़ा गर्क करवा लेते है , कहते हैं न सावन के अन्धे को हरियाली ही दिखाई देती है । 
    बहुत ख़ूब लिखा है आपने ।

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  39. एक बार किसी ने मुझसे कहा था कि "प्यार ज़िंदगी का एक रंगीन धोखा है."
    अगर बात की गहराई में जाएँ तो ये बात सही लगने लगती है.
    आप सभी का मेरे ब्लॉग पर स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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