इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, June 8, 2012

एक ख्वाब-जलता हुआ सा.....

भास्कर भूमि में प्रकाशित  http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-06-11&id=8&city=Rajnandgaon

रात मैंने ख्वाब में
सूरज को देखा था.
जल उठा था मेरा ख्वाब,
मेरी बंद आँखों में...
मेरे आंसुओं की नमी भी 
बचा न सकी उसे जलने से....
अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!!
कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का,
जिससे देख सकूँ 
एक चाँद अबकी बार....
एक पूरा चाँद....
जो भर दे शीतलता
मेरी धधकती आँखों में,
शांत कर दे उस आग को 
जो जला गया सूरज, मेरे सीने में...
इसके  पहले कि
इस धुएँ से मेरा दम घुट जाए...
काश!! मुझे नींद आ जाये....
और आ जाये चाँद 
मेरे ख़्वाबों में..
जी जाऊं मैं
     मेरे ख़्वाबों में......

-अनु 


45 comments:

  1. जी जाऊं मैं
    मेरे ख़्वाबों में......
    बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति ...आभार

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..अनु । मै तो यही कहुँगी... नित नया सृजन करो ..ख्वाब का

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  3. काश!! मुझे नींद आ जाये....
    और आ जाये चाँद
    मेरे ख़्वाबों में..

    मन मोहक सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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  4. ओह सूरज की रौशनी जला गयी ख़्वाबों को ...
    जीवन में अति भी दुखदायी होती है ...
    मन को छू गयी ये तड़प ....!!
    बहुत सार्थक बात कही है ...अनु ...

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  5. नित नए ख्वाब बुनो नित नया चाँद..
    बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति.

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  6. काश!! मुझे नींद आ जाये....
    और आ जाये चाँद
    मेरे ख़्वाबों में..
    जी जाऊं मैं
    मेरे ख़्वाबों में......

    ....बहुत खूब! लाज़वाब अहसास और उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति..बधाई !

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  7. आ जाए चाँद ख्वाबों में ही सही ...
    जी लू कुछ पल नींदों में ही सही ...
    बहुत बढ़िया !

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  8. behad khoobsurat rachna..... hridaysparshi!

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  9. आपका बहुत शुक्रिया शास्त्री जी.

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  10. इसे पढ़ते हुए
    देखने लगा मैं भी
    एक ख्वाब
    कि ख्वाब मे
    एक और ख्वाब को
    सहेज लिया है मैंने :)

    बहुत ही अच्छा लिखा आपने।

    सादर

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  11. काश!! मुझे नींद आ जाये....
    और आ जाये चाँद
    मेरे ख़्वाबों में..
    जी जाऊं मैं...!!

    बस इससे ज्यादा कुछ नहीं....!!

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  12. शीतलता लेकर चाँद आये सृजन हो नए ख्वाब का... बहुत सुंदर रचना

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  13. ऊर्जा सूरज से और शीतलता चाँद से
    क्या बात है ... ख्वाब तो उभरेंगे ही

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  14. बड़ी प्यारी सी कविता है...

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  15. bahut bahut badhiya prastuti-----
    chand ki shitalta aapke spno ko apni chandni se nahla de
    inhi shubh kamnaon ke saath
    poonam

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  16. अनुजी मैं तो चाहूंगी ...हर रात एक नया चाँद आपके ख्वाबों में आये .......जिसकी छिटकी चान्दिनी ....अपनी सारी शीतलता उड़ेल दे आपके जीवन में ......और धत्ता बता दे सूरज को .....!!!!!!

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  17. चाँद की शीतलता, ह्रदय की उद्धिग्नता से पार पा ही लेगी .भाव प्रवणता को को एक आयाम देती रचना

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  18. बहुत ही सुंदर भावों से रची गई कविता का भाव अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  19. अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!!... और कैसे फिर से सपने देखने का साहस करूँ

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  20. हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति

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  21. very soft n sweet creation...

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  22. अधजले टुकड़े समेट फिर से ख्वाब देखने का साहस करना
    एसे साहस को सलामः)

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  23. इसके पहले कि
    इस धुएँ से मेरा दम घुट जाए...
    काश!! मुझे नींद आ जाये....
    और आ जाये चाँद
    मेरे ख़्वाबों में..
    जी जाऊं मैं
    मेरे ख़्वाबों में......
    बहूत .बहूत सुंदर पंक्तीया..
    बहूत सुंदर रचना...

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  24. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.. ..

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  25. हमेशा की तरह मृदु भावों की सहज अभिव्यक्ति

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  26. ख्यालो और एहसासों की कहानी की बहुत ही . हर पंक्ति खुद में अर्थ समेटे है.......

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  27. सूरज की तपिश जलाती ही नहीं अपितु जीवन भी तो देती है अनु जी।...
    और चाँद तो एक छलावा है। कभी पूरा वृत्त लिए- लोक लुभावन रूप में, कभी संतरे की फांक सी और कभी लुप्त।.......
    सुन्दर रचना।

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  28. awesome! जल उठा था मेरा ख्वाब....कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का....

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  29. ख़्वाबों और ख्यालों में बनते बिगड़ते सपने ..सूरज की तपिश , आंसूओं की नमी और चाँद की शीतलता .....सब कुछ प्रासंगिक है ...अब नींद आ जायेगी ,,,,!

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  30. एक पूरा चाँद....
    जो भर दे शीतलता
    मेरी धधकती आँखों में,
    शांत कर दे उस आग को

    बहुत सुंदर भावनाएं लिये अर्थपूर्ण कविता.

    बधाई.

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  31. मेरे आंसुओं की नमी भी
    बचा न सकी उसे जलने से....
    अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!!
    कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का,
    जिससे देख सकूँ
    एक चाँद अबकी बार....


    VAKAI BAHUT HI SUNDAR AUR ANTARMAN KO CHHOONE WALI ABHIVYKTI LAGI .......ANU JI BADHAI SWEEKAREN

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  32. seedhi dil se nikli huyi shandaar kavita....

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  33. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    (अरुन =arunsblog.in)

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  34. अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!!
    कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का,

    jiwan ke bahu aayami tukade aur in tukadon men jite hum .
    kabhi naw bailgarhi par to kabhi baigarhi naw par ,sukh dukh ka
    yahi sang sath ,dubate utarate prashna aur usike sath hum aage pichhe,
    jiwan ki aapa dhapi ...........

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  35. क्या बात है...

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  36. सूरज या कि चांद-जो भी है,भीतर ही है!

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  37. सुन्दर कल्पना । कोमल चाह ।

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  38. अदभुत....अदभुत......!!

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  39. सुंदर चाह ..बहुत सुंदर..बधाई..

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