इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, January 21, 2014

एक शोख़ नज़्म....

एक शोख़ नज़्म
फिसल कर मेरी कलम से
बिखर गयी
धूसर आकाश में !

भीग गया हर लफ्ज़
बादलों के हल्के स्पर्श से...
और वो बन गयी
एक सीली उदास नज़्म!

मेरी हर नज़्म
नतीजा है
मेरी लापरवाहियों का !

सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
होशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!

~अनुलता ~

Thursday, January 16, 2014

सफ़र

मुश्किल था
एक दिन से
दूसरे दिन तक का सफ़र |
एक दिन
जब तुमने कहा विदा !
और दूसरा दिन
जब तुम चले गए....

फिर आसान था 
हर एक दिन से
दूसरे दिन का सफ़र,
कि तुम्हारे बिना तेज़ थी
क़दमों की रफ़्तार,
कि कोई मुझे पीछे
अब खींचता न था....

~अनुलता ~

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...